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सवाल- जवाब

तुम्हारे रहने से ज्यादा अच्छा है तुम्हे छोड़ देना| तुम्हे जीतने से ज्यादा आसान है तुम्हे हार देना| पर ये हार किसकी हुई.. उसकी जो कभी जीती ही नहीं या उसकी जो हमेशा हारती ही है या फिर उसकी जो जीतने से डरती है|
वो नहीं जानती की हार आखिर है किसकी उसकी या खुद की| तो अब.. अब क्या... आखिर अब क्या...
क्या करना है... कहाँ जाना है.. कहाँ तक पहुंचना है.. क्यों पहुंचना है.. कौन देगा इन सवालों के जवाब| जब उसे कोई नहीं मिलेगा तो एक न एक दिन थक हार के खुद से पूछेगी ही न| एक दिन तो पता चल ही जायेगा न की आखिर क्या है मंज़िल| वो जिसे छोड़ चुकी थी या वो जिसे पाना है| अरे यार कितना सोचती है वो| आखिर मंज़िल तो मिलती ही है अगर सच्चा मन और नीयत हो तो| लेकिन उसे कभी खुद पर विश्वास नहीं हुआ था| क्यों नहीं हुआ था ये सवाल किससे पूछा जाये| सवाल तो पता ही थे बस जवाब ढूंढने बाकी थे|
मिल जायेगा भाई| जवाब भी मिल जायेगा और मंज़िल भी| बस उसे सब्र और आत्मविश्वास की जरुरत थी| 
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1 Comments:

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P-DESIGN
admin
26 अप्रैल 2017 को 1:05 am बजे ×

बहुत अच्छा

Congrats bro P-DESIGN you got PERTAMAX...! hehehehe...
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