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रास्ता

कुछ लोग दूकान बंद करते तो कुछ रास्ते में चलते, सभी अपने - अपने घर जाने की जल्दी में । दो लोग मंदिर में बैठे मानो भगवान  से अपनी कोई बात मनवाने की जिद्द कर रहे हो। चार बच्चे छोटे-छोटे हाथो में सब्जी का थैला लिए हस्ते खेलते घर की तरफ चले जा रहे थे, तभी एक गाय सड़क के  पानी से अपनी प्यास बुझा रही थी । उस पल मन में ख्याल आया की वो जिसे हम पूजते है और नेट, फेसबुक पर जय गौ माता आदि कहते है। ये सारी सिर्फ केहने की ही बात होती है असल ज़िंदगी वो है जो मैंने देखा। सब लोग अपने काम में मग्न और वो गाय सड़क के पानी से अपनी प्यास बुझाती हुई । आगे कुछ बच्चे स्कूल से घर जाते हुए और अपने दोस्तों से दिल की बाते करते हुए। चेहरा खिला ही था की फिर मुरझा गया ये देख की एक बूढ़े हाथ पैर एक ठेले को आगे बढ़ा रहे थे। रास्ते में ऊपर आधा चाँद था और ज़मीन पर एक जगह जैसे पूरा उतर  आया थ। नज़र हट  ही नही रही थी और मै  न चाहते हुए भी आगे बढे हा रही थी वो नज़ारा अभी तक दिमाक  से निकला नहीं है। ऊपर साफ़ आसमान नीला - नीला, बिल्डिंग रौशनी से भरी और ज़मीन पर हरी-हरी घास और मै  आगे बढ़ गयी । फिर आगे चल के अपने देश की एक और सच्चाई सामने आई वो यह की एक तरफ बड़े लोगो क लिए बड़ी - बड़ी बिल्डिंग्स और दूसरी तरफ कुछ ऐसे गरीब लोग जिन्हे जंगल तक नसीब नहीं होता रहने के लिए । वो गरीब लोग सड़क पर सोते है। 
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