जहाँ से कहानी शुरू होती है वहीँ से ख़तम होने लगती है.. जैसे इंसान जब जन्म लेता और उसके दिन कम होने लगते हैं.. मै गिनती रहती थी दिन बीतते रहते थे... और कभी जी ही नहीं पाती थी ... जीना चाहती था पर पता नहीं क्यों जी नहीं पाती थी .. कीड़े काटते रहते थे दिमाग में की अगर वो चला गया तो क्या होगा।।। और देखो न... आज वो चला ही गया
दुनिया का दस्तूर है जो आया है वो जाएगा ही लेकिन पता नहीं क्यों हमारी ज़िन्दगी में एक इंसान ऐसा आता है जिसे हम कभी नहीं जाने देना चाहते लेकिन आखिर वो चला ही जाता है और रह जाता है बस खालीपन| दरअसल उस खालीपन से ही डरते हैं हम.. डरते हैं की ये खालीपन हमे ही न खा जाए| लेकिन ये नहीं जानते की खालीपन को समझेंगे तभी तो खुदको जानेंगे| खुद को समझेंगे|
दुनिया का दस्तूर है जो आया है वो जाएगा ही लेकिन पता नहीं क्यों हमारी ज़िन्दगी में एक इंसान ऐसा आता है जिसे हम कभी नहीं जाने देना चाहते लेकिन आखिर वो चला ही जाता है और रह जाता है बस खालीपन| दरअसल उस खालीपन से ही डरते हैं हम.. डरते हैं की ये खालीपन हमे ही न खा जाए| लेकिन ये नहीं जानते की खालीपन को समझेंगे तभी तो खुदको जानेंगे| खुद को समझेंगे|
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